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नव महासचिव जी, आपके इस पोस्ट पर दुष्यंत कुमार जी की पंक्तियां याद आ रही है – तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं।
कथित राष्ट्रीय नेता बनते ही आपके खुद के क्षेत्र की जनता ने संदेश दे दिया आपको। आश्चर्य है कि पाटन में सपाट होने, बुरी तरह पटखनी खाने, समूचे प्रदेश की शहरी सरकार से सफाया हो जाने के बावजूद, आपको अपनी ज़मीन खिसकने का यकीन नहीं होना, आश्चर्यजनक है। सायजी के सुशासन की लहर चल रही है प्रदेश में, स्वीकार कर लीजिये कृपया ताकि आत्ममंथन करना आसान हो।